ख्वाब

खो जाते है दिन में लेकिन
रातों में समाये रहते है ये ‘ख्वाब’

दुनियां है बड़ी बेरंग लेकिन
रंगीन रोशनियां सजाए रखते है ये ‘ख्वाब’

है नहीं हक़ीक़त लेकिन
होने का अहसास कराते ये ‘ख्वाब’

दूर क्षितिज पर है मंजिल लेकिन
हौसलों से पास बनाए रखते है ये ‘ख्वाब’

मर रही है जिंदगी हर पल लेकिन
सांसों में जान बनाए रखते है ये ‘ख्वाब’

‘ख्वाब’ ही तो है जो ‘रण’ में ‘जीत’ से मिलकर आते है
और एक सपनो का सुंदर घरोंदा सजाते है।

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